Monday, September 22, 2008

जयजयवंती वार्षिकोत्सव - ११- सितम्बर -२००८

११- सितम्बर -२००८ सायं ६:३०, इंडिया हैबीटैट सेंटर का "स्टाइन सभागार" दर्शकों कि भीड़ से भर चुका है आज यहाँ सभी जयजयवंती वार्षिकोत्सव समारोह में एकत्रित हुये हैं। जयजयवंती – हिन्दी संगोष्ठी (हिन्दी का भाविष्य और भविष्य की हिन्दी) श्री अशोक चक्रधर और श्रीमती बागेश्वरी चक्रधर द्वारा हिन्दी के लिये चलाई जाने वाली मुहिम है। जो हर माह अपने नियमित समय पर आयोजित की जाती है, इस मुहिम की शुरुआत हुये पूरा एक वर्ष हुआ है, इसी उपलक्ष्य में हम सभी एकत्रित हुये हैं।

कार्यक्रम की शुरुआत, मुख्य अतिथि काग़्रेस के युवा सांसद श्री नवीनजिन्दल, वरिष्ठ सांसद श्री सत्यव्रत चतुर्वेदी जी जिनका हिन्दी प्रेम जगजाहिर है, सुश्री पूर्णिमा बर्मन, श्री अशोक चक्रधर, श्रीमती बागेश्वरी चक्रधर और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के बीच दीप प्रज्ज्वलन से हुई। नवीन जिन्दल जी ने अपने संम्बोधन में महाराष्ट्र में घट रही हिन्दी को लेकर राजनीति पर चिंता व्यक्त करते हुये ये इच्छा जताई कि जब भी उन्हें हिन्दी से जुड़ने का मौका मिलेगा वे अग्रसर रहेंगे वहीं सत्यव्रत चतुर्वेदी जी ने अपनी यादें ताजा करते हुये हिन्दी के प्रति अपना प्रेम जाहिर किया, वे हमेशा से ही हिन्दी के लिये हो रही गतिविधियों में आगेरहे हैं इस बात से सभी वाकिफ हैं। और खास बात यह भी थी कि वहाँ "अनुभूति" "अभिव्यक्ति" की संपादक सुश्रीपूर्णिमा वर्मन जी को "जयजयवंती सम्मान" से सम्मानित किया जायेगा।

शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो इंटरनेट हिन्दी से जुड़ा हो और उन्हें न जानता हो, अगर मैं उन्हें इंटरनेट पर हिन्दी कि जननी कहूँ तो इसमें कोईदो राय नहीं। आज हज़ारों कि संख्या में ब्लाग्स हैं सैकड़ों की संख्या में हिन्दी वेबसाइटस हैं. उन पर कोई अपने लिये काम कर रहा है, कोई प्रसिद्धि पाने के लिये तो कोई तानाकशी के लिये. निष्पक्ष भावना से सिर्फ हिन्दी केलिये काम करने वालों में पूर्णिमा जी का नाम सर्वोपरि है. उन्होंने हिन्दी के लिये मुहिम 10 बरस पहले शुरू कि थी, उसका नतीजा यह है की आज "अनुभूति" "अभिव्यक्ति" में लाखों की संख्या में पृष्ट हैं, जहाँ कालजयी,वरिष्ठ कवियों, लेखकों से लेकर आज के युवा साहित्यकारों की रचनाओं का अनुठा संग्रह है। यह उनकी मेहनत और लगन का ही नतीजा है की आज "अनुभूति" "अभिव्यक्ति" के नियमित पाठक हैं और प्रतिदिन लाखों कि संख्या में यह पढी जाती है. ये समस्त स्त्री वर्ग और साहित्य से जुड़े लोगों के लिये अत्यंत गौरव की बात है.

पूर्णिमा जी बहुत सरल और बहुमुखी प्रतिभा वालीं हैं। उनसे मिलना, बातें करना, उनके काम करने की शैली, उनकी लगन और हिंदी के लिये उनका अटूट प्रेम सभी कुछ प्रेरित करता है हिन्दी के लिये कुछ करने को। वे हिन्दी विकीपीडिया पर भी काम करती हैं और नियमित वहाँ कुछ न क़ुछ लेखों का योगदान देती रहती हैं उन्होंने अपने छोटे से वक्तव्य में कहा हिन्दीं कई जगहों पर अभी भी बहुत पीछे हैं, जैसे यदि विकीपीडिया में सभी रोज़ कुछ ना कुछ डालें तो भी हम हिन्दी को बेहतरी की ओर ला सकते हैं. अभी विकीपीडिया में अग्रेज़ी भाषा पहले स्थान पर है जिस पर करीब 2550112 लेख लिखे जा चुके हैं, जापानी भाषा 5वें जो 519275 लेख होने का दावा रखती है. हिन्दी भाषी देश होने और हिन्दी मातृभाषा होने के बावजूद हमारी हिन्दी 54वें स्थान पर हैं जिसपर मात्र 21,261 लेख ही लिखे गये हैं. जो कि कम बोले जाने वाली भाषाओं तेलगू जो 39वें स्थान, जिस पर 41,300 लेख हैं. अन्य पड़ोसी देशों में बोली जाने वाली भाषाओं जैसे चाईनीज़ जो 12वें स्थान पर 2550112 लेख, नेपाली जो 38 वें स्थान पर 3843418 लेख होने का और हिन्दी को पछाड़ने का दावा रखती हैं. हिन्दी से कैसे ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़ें इसके लिये उनका अथक प्रयास हमेशा रहताहै। वे कहती हैं कि अगर हम सभी मिलकर हिन्दी विकीपीडिया में रोज़ एक लेख लिखने का योगदान दें तो भी हम हिन्दी को बेहतर बना सकते हैं

वे अपनी वेबसाईट पर कई महोत्सव कराती रहती हैं, अभी वे व्यापक ढंग से कथा महोत्सव करा रही हैं। आप सब भी उस महोत्सव में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकते हैं. ये कुछ लिंक "अनुभूति" "अभिव्यक्ति" के
<%20<">http://www.anubhuti-hindi.org/>
<
http://www.abhivyakti-hindi.org/>

अब जरूरत है आप सभी के हिन्दी विकीपीडिया पर खाते और लेख होने की। समय बहुत बदल रहा है, खासकर स्त्रियों के लिये। आज की हर नारी एक प्रेरणा हैं मिसाल है, हमारी आने वाली अगली नस्लों के लिये। यहाँ तक का सफर स्त्री ने खुद ही तय किया है और आगे उम्मीद है कंधे से कंधा मिलाकर वो अपनी सहस्र शक्तियों से अवगत कराती रहेगी।

मंच का कुशल संचालन श्री अशोक चक्रधर ने किया जहाँ उन्होनें अपने पूरे एक वर्ष का सफर कम्प्यूटर प्रस्तुति के माध्यम से श्रोताओं तक पँहुचाया। अंत में सुश्री स्नेहा चक्रधर की भरतनाट्यम प्रस्तुति ने सभी का मन मोहलिया। और इस तरह जयजयवंती वार्षिकोत्सव सम्पन्न हुआ।

Thursday, September 18, 2008

फुरसत के दो पल!

जीवन की आपा धापी में कब वक़्त मिला
कुछ देर कहीं पर बैठ कभी ये सोच सकूँ
जो किया, कहा, माना, उसमें क्या बुरा भला...

बस इसी आपा धापी से बचते बचाते, दो पल बाँट सकने की चाह लिये कुछ सुनने और कुछ सुनाने कि कोशिश...